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Pratyangira Stotram-प्रत्यंगिरा स्तोत्रम

 

Pratyangira Stotram-प्रत्यंगिरा स्तोत्रम




ॐ ह्रीं प्रत्यङ्गिरायै नमः।

प्रत्यगिरे अग्निं स्तम्भय | जलं स्तम्भय | सर्वजीव स्तम्भय |

सर्वकृत्यां स्तम्भय | सर्वरोग स्तम्भय | सर्वजन स्तम्भय |

ऐं ह्रीं क्लीं प्रत्यगिरे सकल मनोरथान साधय साधय देवी तुभ्यं नमः |

ॐ क्रीं ह्रीं महायोगिनी गौरी हुम् फट स्वाहा ।

ॐ कृष्णवसन शतसहस्त्रकोटि वदन सिंहवाहिनी परमन्त्रपरतन्त्रस्फोटनी सर्वदुष्टान्

भक्षय भक्षय सर्वदेवानां बंध बंध विद्वेषय विद्वेषय ज्वालाजिद्दवे

महाबन पराक्रम प्रत्यगिरे परविद्या छेदिनी परमन्त्र नाशिनी

परयन्त्र भेदिनी ॐ ॐ नमः।

प्रत्यगिरे देवि परिपंथी विनाशिनी नमः |

सर्वगते सौम्ये रौद्रयै परचक्राऽपहारिणि नमस्ते चण्डिके चण्डी

महामहिषमर्दिनी नमस्काली महाकाली शुम्भदैत्य विनाशिनी

नमो ब्रह्मास्त्रदेवेशि रक्ताजिन निवासिनी नमोऽमृते

महालक्ष्मी संसारार्णवतारिणी निशुम्भदैत्य संहारौं

कात्यायनी कानान्तके नर्मोऽस्तुते।

ॐ नमः कृष्णवक्त्रशोभिते सर्वजनवशकरि सर्वजन

कोपोद्रवहारिणि दुष्टराजसंघातहारिणि अनेकसिंह,

कोटिवाहन सहस्त्रवदने अष्टभुजयुते महाबल पराक्रमे

अत्यद्भुतपरे चितेदेवी सर्वार्थसारे परकर्म विध्वंसिनी

पर मन्त्र तन्त्रचूर्ण प्रयोगादि कृते मारण

वशीकरणोच्चाटन स्तम्भिनी आकर्षणि

अधिकर्षणि सर्वदेवग्रह सवित्रिग्रह भोगिनीग्रह

दानवग्रह दैत्यग्रह ब्रह्मराक्षसग्रह सिद्धिग्रह

सिद्धबह विद्याग्रह विद्याधरबह यक्षग्रह

इन्द्रबह गन्धर्वग्रहे नरग्रह किन्नरग्रह किम्पुरुषग्रह

अष्टौरोगबह भूतबह प्रेतग्रह पिशाचग्रह

भक्षबह आधिग्रह व्याधिग्रह अपस्मारग्रह

सर्पग्रह चौरबह पाषाणबह चाण्डालग्रह

निषूदिनी सर्वदेशशासिनि खड्गिनी

ज्वालिनिजिहवा करालवक्ने प्रत्यगिरे

मम समस्तारोग्यं कुरु कुरु श्रियं देहि

पुत्रान् देहि आयुर्देहि आरोग्यं देहि

सर्वसिद्धिं देहि राजद्वारे मार्गे

परिवारमाश्रित मा पूज्य

रक्ष रक्ष जप ध्यान रोमार्चनं कुरु कुरु स्वाहा ||

॥ प्रत्यङ्गिरा स्तोत्र सम्पूर्ण ॥




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